
79 वे स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक सुभकामनाएं
भारत आज 15 अगस्त 2025 को अपना 79 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। यह हमारे लिए बड़े ही सौभाग्य की बात है कि आज हम अपनी स्वेच्छा से सामूहिक रूप से एकत्र होकर अपना स्वतंत्रता दिवस मना पा रहे है। अंग्रेजों की गुलामी के समय में यह संभव नहीं था, उनकी पूर्व अनुमति के बिना पाँच लोग इकट्ठे होकर किसी भी प्रकार के कार्यक्रम को सम्पन्न नहीं कर सकते थे।
1857 का विद्रोह:
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में यह साल बहुत ही महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि इसी साल स्वतंत्रता आंदोलन की सबसे बड़ी शुरुआत अंग्रेजी छावनियों में नियुक्त भारतीय मूल के सैनिकों द्वारा की गई। यह विद्रोह सैनिकों में पल रही असंतोष की भावना और उनकी धार्मिक मान्यताओं पर प्रहार के कारण शुरू हुआ ।
1857 के विद्रोह में मंगल पांडे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वे ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री में सिपाही के पद पर नियुक्त थे। उन्होंने भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की नीव रखी, ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध उनके व्यवहार के कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हे बागी करार दिया और उन्हे फांसी दे दी गयी।
मंगल पांडे की फांसी से अंग्रेजी छावनियों में विद्रोह शुरु हो गया, मेरठ में सिपाहियों ने रैंकों को तोड़ दिया और कई अंग्रेजी कमांडिंग अधिकारियों की हत्या कर दी। मेरठ के बाद यह विद्रोह पूरे भारत में अलग-अलग जगह पर शुरू हो गया, और जंगल की आग की तरह पूरे भारत में फेल गया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना:
28 दिसंबर सन 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई थी यह स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण तिथि है क्योंकि यहीं से स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन को एक राजनीतिक मंच प्रदान हुआ और अंग्रेजों से अपनी मांगे मनवाने के लिए, राजनीतिक दबाव बनाने के लिए यह संगठन काम करने लगा। यह संगठन जनता पर हो रहे अत्याचारों, राष्ट्रवादियों के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आजादी की मांगे करने लगा।
कांग्रेस का विभाजन:
1907 मैं कांग्रेस दो गुटों में विभाजित हो गई। एक दल जो गरम पंथियों का था जिसका नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक कर रहे थे। तिलक के नेतृत्व में गरम पंथियों ने ब्रिटिश साम्राज्य को तबाह करने के लिए और सभी ब्रिटिश वस्तुओं का त्याग करने के लिए आंदोलन की शुरुआत की। वहीं नरम पंथी दल का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले कर रहे थे जिन्होंने हिंसा के मार्ग को त्यागने के लिए और राजनीतिक रास्ता अपने के लिए सभी से मांग की और सशस्त्र प्रतिरोध की आलोचना की।
मुस्लिम लीग की स्थापना:
30 दिसंबर 1906 को मुस्लिम लीग की स्थापना ढाका में की गई यह मुसलमानों की मांगे मनवाने के लिए राजनीतिक दल था । यह दल कांग्रेस के प्रति असंतोष जगाने के लिए स्थापित किया गया। इनका मानना था कि कांग्रेस ज्यादातर हिंदुओं के अधिकारों के लिए काम कर रही है। सन 1913 में मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिम लीग को ज्वाइन किया और बाद में इस पार्टी ने मुसलमानों के लिए अलग पाकिस्तान बनाने के लिए एक बड़ा आंदोलन किया।
जलियांवाला बाग हत्याकांड:
13 अप्रैल 1919 को ब्रिटिश सैनिकों ने जनरल डायर की निगरानी में, उसके आदेश पर जलियांवाला बाग, अमृतसर में स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनकारियों पर गोलियां चलवा दी, जनरल डायर के इस निर्णय के कारण बहुत सारे भारतीय आंदोलनकारी, आदमी, औरत और बच्चों की इस जलियांवाला बाग हत्याकांड में मृत्यु हो गई।
असहयोग आंदोलन:
1920 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजी सामान, संस्थानों, न्यायालयों, सरकारी सेवा, बाहरी सामान और उनके द्वारा लगाए जा रहे कर का पूर्ण रूप से वहिष्कर करना था । लेकिन सन 1922 को महात्मा गांधी को यह आंदोलन वापस लेना पड़ा इसका कारण भारतीय आंदोलनकारी ने चौरा-चौरी में 22 पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी और गांधी जी को लगा कि यह आंदोलन हिंसक न हो जाए।
पूर्ण स्वराज की मांग:
26 जनवरी 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की मांग उठाई। यह प्रस्ताव शुरुआत में 19 दिसंबर 1929 को पंडित जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में पारित किया गया था और बाद में 26 जनवरी को इसे पूर्ण रूप से घोषित कर दिया गया।
नमक सत्याग्रह:
मार्च 1930 को महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह की शुरुआत की। इसका उद्देश्य नमक के ऊपर अंग्रेजों के एकाधिकार को खत्म करना था। अंग्रेजों ने भारत में नमक के उत्पादन, वितरण को पूर्ण रूप से अपने अधिकार में ले लिया था और इस पर बहुत अत्यधिक कर लगाकर भारतीयों को दिया जाता था।
अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन:
14 जुलाई 1942 को कांग्रेस ने “अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की, इस आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने “करो या मरो” का नारा दिया। इस नारे ने भारतीयों के अंदर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए जोश भर दिया। महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत से उखाड़ फेंकने के लिए हर संभव प्रयास करना शुरू कर दिया, लेकिन इन प्रयासों को कुचलने में अंग्रेजों ने कोई कसर नहीं छोड़ी, अंग्रेजों ने हर तरह के हथकंडे अपनाए और भारतीयों पर बहुत ही अधिक अत्याचार करना शुरू कर दिया।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947:
4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश की संसद में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम को पेश किया और इस अधिनियम के अनुसार भारत को दो भागों में (भारत तथा पाकिस्तान) विभाजित किया गया। 18 जुलाई 1947 को यह प्रस्ताव स्वीकृत हुआ और 15 अगस्त 1947 को भारत दो भागों में बट गया।
निष्कर्ष:
भारत का स्वतंत्रता संग्राम लगभग 200 वर्षों तक चला लेकिन इसका प्रभावी रूप 1857 के विद्रोह से माना जा सकता है। यह संग्राम देश के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि टुकड़ों में बटीं हुई भारतीय रियासतें में बसे लोगों ने एकजुट होकर, इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। आज हम स्वतंत्र हैं अपने कृत्यों के लिए, विचारों के लिए यह केवल और केवल हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों की वजह से ही संभव हो पाया है।
आज भारत अपना 79 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है चाहे वह अंतरिक्ष हो, जमीन हो, समुद्र हो। जल, थल, नभ हर जगह हम अपने आप को प्रदर्शित कर पा रहे है।